सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा


प्रकृति में 2 प्रकार की ऊर्जा होती है सकारात्मक और नकारात्मक । सकारात्मक वह है जिनकी शक्ति आपके लिए लाभदायक है जैसे आपके ईष्ट ,आपके कुल देवता ,महाविद्यायें,देवी-देवता आदि और नकारात्मक वह है जो आपके लिए समस्या ही उत्पन्न करते है जैसे भूत-प्रेत-पिशाच-ब्रह्म राक्षस-जिन्न-शाकिनी-डाकिनी आदि ,
आज के समय में नकारात्मक ऊर्जा शक्तियों का प्रभाव सामान्यतया घर परिवारों पर बहुत दिखने लगा है ,जबकि उन्हें पता ही नहीं होता की वे इनसे प्रभावित है ,उनके द्वारा बताये जाने वालो लक्षणों से प्रथम दृष्टया अकसर इनकी समस्या घरों में मिलती है ,इनके कारण वास्तु दोष ,घरों में सूर्य के प्रकाश की कमी , ,पित्र दोष ,कुल देवता का दोष ,ईष्ट प्रबलता की कमी ,धार्मिक श्रद्धा की कमी ,खुद की गलतियाँ ,अभिचार आदि हो सकते हैं ,यदि बाहर से घर पहुचने पर सर भारी हो जाए ,घर में अशांति का वातावरण हो ,कलह होता हो,पति-पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो ,पूजा-पाठ में मन न लगे ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न हो ,आय-व्यय का संतुलन बिगड़ा हो ,आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक होती हों ,रोग हो किन्तु कारण पता न चले ,अपने ही घर में भय लगे ,लगे कोई और है आसपास ,अपशकुन हो ,अनावश्यक आग आदि लगे ,मांगलिक कार्यों में अवरोध उत्पन्न हो तो समझना चाहिए की घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश है, इस स्थिति में इनका पता लगाने का प्रयास करके इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए |

जब आपके कुल देवता /देवी या पितरो को ठीक से पूजा न मिले तो वे नाराज हो सकते हैं ,उनकी शक्ति कमजोर हो सकती हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वाली मुख्य शक्ति हट जाती है , जिसका परिणाम ये होता है घर में नकारात्मक शक्ति का प्रवेश हो जाता है जिससे आपको काफी नुकशान उठाना पड़ सकता है ! किसी से दुश्मनी हो तो वह भी आभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है । कभी कभी कोई नकारात्मक ऊर्जा आशक्तिवश भी किसी के पीछे लग जाती है और उससे अपनी अतृप्त वासनाएं पूर्ण करने का प्रयास करती है ,,कभी कभी किसी जमीन में नकारात्मक उर्जाओं का स्रोत होता है और उस पर मकान बना लेने पर वह वहां रहने वालों को परेशान करती है ! यदि व्यक्ति को लगे की उसके घर में या उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो उसे किसी योग्य जानकार व्यक्ति ,सिद्ध व्यक्ति या उच्च स्तर के तांत्रिक से मिलना चाहिए ,,इनसे मुक्ति का उपाय करना चाहिए ,पित्र दोष ,कुल देवत/देवी दोष ,ईष्ट दोष ,गृह दोष का उपचार करना चाहिए । वैसे तो इन सबका सबसे अच्छा उपाय है की आप सयम साधना मार्ग पर आये, किसी अच्छे साधक या समर्थ गुरु के मार्गदर्शन से साधना आदि करे ! इससे लौकिक जगत और अलौकिक जगत दोनों में का सुख प्राप्त कर पाएंगे !



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